इस झरने के संबंध में एक पौराणिक आख्याण काफी प्रचलित है। इस आख्याण के अनुसार त्रेता युग में एक राजा को किसी ऋषि ने शाप दे दिया। शाप के कारण राजा अजगर बन गया और वह यहां रहने लगा। कहा जाता है कि द्वापर युग में पाण्डव अपना वनवास व्यतीत करते हुए यहां आए थे। उनके आशीर्वाद से इस शापयुक्त राजा को यातना भरी जिन्दगी से मुक्ित मिली। शाप से मुक्ित मिलने के बाद राजा ने भविष्यवाणी की कि जो कोई भी इस झरने में स्नान करेगा, वह कभी भी सर्प योनि में जन्म नहीं लेगा। इसी कारण बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग इस झरने में स्नान करने के लिए आते हैं। वैशाखी और चैत्र सक्रांति के अवसर पर विषुआ मेले का आयोजन किया जाता है।इस अवसर पर अनेकों गाँव तथा अन्य लोग भी यहाँ आते है। इस मेला को ककोलत आने का औपचारिक शुरूआत भी माना जाता है,,क्योंकि यह गर्मी के शुरूआत में मनाया जाता है। (Wikipedia से)
ककोलत जलप्रपात हाल के वर्षों में अपनी बदहाली पर भी रो रहा है। ककोलत जलप्रपात के प्रसिद्धि के कारण मुख्य धारा के सैलानी लगातार बड़ी संख्या में हम पहुंचने लगे हैं ऐसे में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में उन्हें काफी परेशानी हो रही है। साफ सफाई एवं सुरक्षा तो मुख्य मुद्दा रहा ही है लेकिन महिलाओं के लिए एक चेंजिंग रूम का मांग कई वर्षों से जारी है वहीं दूसरी ओर ककोलत में टॉयलेट की सुविधा अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाई है जोकि एक मूलभूत आवश्यकता है।स्थानीय लोग तथा सैलानी सोशल मीडिया पर इस संबंध में लगातार आवाज उठाते रहे लेकिन प्रशासन और सरकार के दिलासा के अलावा ककोलत को कुछ नहीं मिल पाया है। अभी 2 वर्ष भी नहीं हुए जब बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन ने ककोलत को ईकोटूरिज्म हॉटस्पॉट बनाने का भरोसा दिया था जिससे कि स्थानीय लोगों के जीविका में सुधार होता एवं युवाओं को रोजगार मुहैया होता किंतु इस और प्रयास बिल्कुल भी नहीं किया गया खैर इन सब के बावजूद ककोलत का आकर्षण हमेशा ही बना रहता है और बना रहेगा।
जो लोग पहले कभी भी ककोलत नहीं आ पाए हैं उनके लिए निम्न मार्ग है-
वायु मार्ग
यहां का निकटतम हवाई अड्डा गया में है। लेकिन यहां वायुयानों का नियमित आना जाना नहीं होता है। इसलिए वायु मार्ग से यहां आने के लिए पटना के जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा आना होता है। यहां से सड़क मार्ग द्वारा ककोलत जाया जा सकता है।
रेल मार्ग
नवादा में रेलवे स्टेशन है जो गया - क्यूल रेलखंड से जुड़ा हुआ है। गया जंक्शन रेल मार्ग द्वारा देश से सभी शहरो से जुड़ा हुआ है। कोडरमा स्टेशन से भी बस पकड़ कर थाली मोड़ आया जा सकता है।
सड़क मार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर स्थित होने के कारण ककोलत देश के सभी भागों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। फतेहपर से 18 किलोमीटर की यात्रा में 15 किलोमीटर तक सार्वजनिक वाहन मिल जाते है,,आखिर के तीन किलोमीटर जो थाली मोड़ से शुरू होता है।
ककोलत जलप्रपात से जुड़ी यह जानकारी आपको कैसी लगी आप मुझे कमेंट बॉक्स में बताएं या फिर ईमेल करें। साथ ही ककोलत के साथ जुड़े आपके यादों को भी मैं पढ़ना चाहूंगा समझना चाहूंगा आप चाहे तो उसे भी बता सकते हैं। आपका प्रशांत