आज से मैं दुनिया में विभिन्न पुस्तकालयों पर एक ब्लॉग सीरीज शुरू करने जा रहा हूं जिसे मैं ढिबरी पर #DreamLibrary के नाम से पोस्ट करता रहूंगा। पोस्ट का लिंक विभिन्न सोशल मीडिया पर भी डालने का प्रयास करूंगा। मैं आशा करूंगा कि आप सब पूरी दिलचस्पी के साथ पढेेंगें और अपने friend circle में शेयर करेंगे और बच्चों के ग्रुप में इसके बारे में जानकारी देंगे।
आज की कहानी है जापान के एहीमें प्रांत के कैपिटल मात्सूयामा शहर से । यह जापान के शिकोकू द्वीप पर स्थित है। कहानी है एक ऐसे लाइब्रेरी की जोकि एक ट्रक के रूप में प्रत्येक सप्ताह अपने प्रिय पाठकों तक पुस्तकें पहुंचाती है। हम कह सकते हैं कि यह चलंत पुस्तकालय अर्थात Mobile library है। मात्सूयामां के आस-पास के गांव में कोई भी पब्लिक लाइब्रेरी नहीं है। इसके अनेक कारण है किंतु एक ट्रक जिसमें करीब 2800 पुस्तकें हैं वह प्रत्येक गांव में हर सप्ताह एक निश्चित समय पर पिछले 45 वर्षों से जा रहा है। जैसे कोई ट्रेन अपने समय पर आकर यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाती है ठीक वैसे ही बस अंतर इतना है कि यहां ट्रेन ना होकर पुस्तकों का भंडार लोगों के लिए नियत समय पर पहुंचता है। पुस्तकें भी हर तरह की नई-पुरानी, इतिहास और विज्ञान, बच्चों के लिए स्टोरी बुक्स, विभिन्न विषयों के पिक्चर बुक्स, फिक्शन, मंगा,नॉनफिक्शन आदि। यानी संपूर्ण कलेक्शन।
हमारे लिए हैरत करने की बात यह है की सबसे ज्यादा एक्टिव मेंबर्स गांव के बुजुर्ग और 7 वर्ष से भी कम आयु के बच्चे हैं। बच्चे 10-12 पुस्तकें एक साथ ले जाते हैं और फिर अगले सप्ताह पढ़कर सही सलामत वापस करके नई पुस्तकें ले जाते हैं।ट्रक के आने के पहले ही कई बुजुर्ग नियत स्थान पर खड़े हो जाते हैं और ट्रक के आने का इंतजार करना उनके लिए खुशी का माध्यम बनता है। कुछ पुस्तक प्रेमियों के लिए यह ट्रक तो आपस में मिलने का बहाना भी बन गया है। वे उस स्थान पर ट्रक के आने के एक घंटा पहले आकर दुनिया जहां की बातें करते हैं,उन किताबों की कहानियां सुनाते हैं एक दूसरे को जो भी पिछले सप्ताह पढ़ चुके होते हैं। जीवंत और सजीव। कभी कभी ऐसा भी होता है कि कोई भी वहां नहीं पहुंचता पर फिर भी ट्रक अपने नियत समय पर हर सप्ताह जरूर पहुंचता है।
हम आशा करते हैं की यह ऐसा ही चलता रहे।
तो कैसा लगा आप सब को यह जानकारी।
आप सोशल मीडिया पर इसे शेयर करें #DreamLibrary और #AbdulKalamLibraryRajauli के साथ। अगर आपके पास भी किसी लाइब्रेरी की ऐसे ही कहानी हो तो हमें मैसेज/ईमेल करना ना भूलें। email - kalamlibraryrajauli@gmail.com
हमारा प्रयास है की रजौली और आसपास के क्षेत्रों में अब्दुल कलाम लाइब्रेरी एक जीवंत जगह बने जहां पर हर कोई आकर शांति से पढ़ सकें। आपका सहयोग जरूरी है।
लाइब्रेरी का फेसबुक पेज -
https://www.facebook.com/abdulkalamlibrary/
किसी भी जानकारी के लिए जुड़े रहिए मुझसे
आपका प्रशांत ❣️
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चित्र साभार www.nhkworld.com से |
आज की कहानी है जापान के एहीमें प्रांत के कैपिटल मात्सूयामा शहर से । यह जापान के शिकोकू द्वीप पर स्थित है। कहानी है एक ऐसे लाइब्रेरी की जोकि एक ट्रक के रूप में प्रत्येक सप्ताह अपने प्रिय पाठकों तक पुस्तकें पहुंचाती है। हम कह सकते हैं कि यह चलंत पुस्तकालय अर्थात Mobile library है। मात्सूयामां के आस-पास के गांव में कोई भी पब्लिक लाइब्रेरी नहीं है। इसके अनेक कारण है किंतु एक ट्रक जिसमें करीब 2800 पुस्तकें हैं वह प्रत्येक गांव में हर सप्ताह एक निश्चित समय पर पिछले 45 वर्षों से जा रहा है। जैसे कोई ट्रेन अपने समय पर आकर यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाती है ठीक वैसे ही बस अंतर इतना है कि यहां ट्रेन ना होकर पुस्तकों का भंडार लोगों के लिए नियत समय पर पहुंचता है। पुस्तकें भी हर तरह की नई-पुरानी, इतिहास और विज्ञान, बच्चों के लिए स्टोरी बुक्स, विभिन्न विषयों के पिक्चर बुक्स, फिक्शन, मंगा,नॉनफिक्शन आदि। यानी संपूर्ण कलेक्शन।
हमारे लिए हैरत करने की बात यह है की सबसे ज्यादा एक्टिव मेंबर्स गांव के बुजुर्ग और 7 वर्ष से भी कम आयु के बच्चे हैं। बच्चे 10-12 पुस्तकें एक साथ ले जाते हैं और फिर अगले सप्ताह पढ़कर सही सलामत वापस करके नई पुस्तकें ले जाते हैं।ट्रक के आने के पहले ही कई बुजुर्ग नियत स्थान पर खड़े हो जाते हैं और ट्रक के आने का इंतजार करना उनके लिए खुशी का माध्यम बनता है। कुछ पुस्तक प्रेमियों के लिए यह ट्रक तो आपस में मिलने का बहाना भी बन गया है। वे उस स्थान पर ट्रक के आने के एक घंटा पहले आकर दुनिया जहां की बातें करते हैं,उन किताबों की कहानियां सुनाते हैं एक दूसरे को जो भी पिछले सप्ताह पढ़ चुके होते हैं। जीवंत और सजीव। कभी कभी ऐसा भी होता है कि कोई भी वहां नहीं पहुंचता पर फिर भी ट्रक अपने नियत समय पर हर सप्ताह जरूर पहुंचता है।
हम आशा करते हैं की यह ऐसा ही चलता रहे।
इसी तरह की एक मुहीम इआता प्रीफेक्चर में भी चल रही है आपका मित्र वीडियो देख सकते हैं
तो कैसा लगा आप सब को यह जानकारी।
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हमारा प्रयास है की रजौली और आसपास के क्षेत्रों में अब्दुल कलाम लाइब्रेरी एक जीवंत जगह बने जहां पर हर कोई आकर शांति से पढ़ सकें। आपका सहयोग जरूरी है।
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आपका प्रशांत ❣️